दियों का, ख़ुशियों का त्यौहार। केवल नाम लेनेसे ही दृष्टी के सम्मुख एक सुंदरसा चित्र उभर आता हैं। दियें, आकाशदीप, मिठाइयाँ, पटाखें, रंगोली, नये कपड़ें, रिश्तेदार और दोस्तों से तथा आनंद से भरा घर और मन…. इस चित्र को पूर्णता प्राप्त होती है।
माँ पिताजी, दादा दादी, नाना नानी, चाचा चाची, मामा मामी, मौसा मौसी इनके प्रेम, आशिर्वाद से। इस सुन्दर, लुभावने चित्र में हम सबके साथ होते हैं परंतू हमारे साथ कौन? एक पल के लिये सोचकर देखिये, इस चित्र को संपूर्णतः कैसे प्राप्त होगी?
जी हाँ.. अपने जीवनसाथी के आने से। मनचाहा, अनुरूप साथीदार पाना हर किसिका स्वप्न होता है।
ये लुभावना चित्र, इसी प्रकार सुंदर, हँसमुख तथा परिपूर्ण रहे इसके लिये एक मनपसंद साथी होना अती आवश्यक होता। उसके आगमनसे इस चित्र में अधिक गहरे, खिले खिले रंग उभर आते हैं और हम “भाग्यरूप” एक संस्था के रूप में, आपकी इस खोज हेतू आपकी सहायता के लिये तत्पर हैं।
हम केवल रिश्तेंही नही, आपसी प्रेम तथा विश्वास बढ़ाने में आपकी मदद करते हैं।
रिश्ते.. जीवनभर के…
बनाये, निभाये जाते हैं..
प्रेम, विश्वास, आदर तथा सम्मान
इन्हें परिपूर्ण करते हैं…
आओ.. हाथ बढ़ाये
एक दुजे का साथ निभायें..
“जीवन” ही एक त्यौहार बनाये
आनंद से हर क्षण सजाये…